यह मुद्दा अब राजनीतिक होते जा रहा हैं। लेकिन सरकार ही चाहती हैं कि ये मुद्दा राजनीतिक रुख ले। अन्यथा हमारी मांग तो सिर्फ इतनी थी कि आयोग कि नाकामी वजह से जो बाधा उत्पन्न हुआ उस वजह से re-exam हो । बापू सभागार एक परीक्षा केन्द्र नहीं है बल्कि ये एशिया का सबसे बड़ा परीक्षा केन्द्र है। 18000 छात्रों का मतलब एक नहीं बल्कि 31 केंद्र और तीन जिला के बराबर है । साथ ही ये पूरे PT result का 80% भी है। छात्रों के जायज मांग Paper Leak का मुद्दा स्टुडेंट्स का प्राथमिक मुद्दा नहीं हैं, लेकिन सरकार और कुछ मीडिया द्वारा वास्तविक मुद्दे को भटकाने के लिए इसकी ही चर्चा ज्यादा कि जा रही। स्टूडेंट्स ने हजारों mails,calls और लाखों ट्वीट्स किए, ट्विटर ट्रेंड किए सरकार से मिलने लिए हरेक कोशिश किया। हरेक जिले में कैंडल मार्च किया,CM ke प्रगति यात्रा में हर जगह CM से मिलके अपनी बात रखनी चाही, 11 दिन गर्दनिबाग में धरना दिया, कई दिन अनशन किया लेकिन उनसे सरकार का कोई प्रतिनिधि मिलने नहीं आया, इस बीच छात्रों ने हाथ जोड़कर जब cm or bpsc चेयरमैन से मिलने की कोशिश की तो हाथ जोड़े छात्रों पे लाठी चार्...
यह मुद्दा अब राजनीतिक होते जा रहा हैं। लेकिन सरकार ही चाहती हैं कि ये मुद्दा राजनीतिक रुख ले।
अन्यथा हमारी मांग तो सिर्फ इतनी थी कि आयोग कि नाकामी वजह से जो बाधा उत्पन्न हुआ उस वजह से re-exam हो ।
बापू सभागार एक परीक्षा केन्द्र नहीं है बल्कि ये एशिया का सबसे बड़ा परीक्षा केन्द्र है। 18000 छात्रों का मतलब एक नहीं बल्कि 31 केंद्र और तीन जिला के बराबर है । साथ ही ये पूरे PT result का 80% भी है।
छात्रों के जायज मांग
Paper Leak का मुद्दा स्टुडेंट्स का प्राथमिक मुद्दा नहीं हैं, लेकिन सरकार और कुछ मीडिया द्वारा वास्तविक मुद्दे को भटकाने के लिए इसकी ही चर्चा ज्यादा कि जा रही।
स्टूडेंट्स ने हजारों mails,calls और लाखों ट्वीट्स किए, ट्विटर ट्रेंड किए सरकार से मिलने लिए हरेक कोशिश किया। हरेक जिले में कैंडल मार्च किया,CM ke प्रगति यात्रा में हर जगह CM से मिलके अपनी बात रखनी चाही, 11 दिन गर्दनिबाग में धरना दिया, कई दिन अनशन किया लेकिन उनसे सरकार का कोई प्रतिनिधि मिलने नहीं आया, इस बीच छात्रों ने हाथ जोड़कर जब cm or bpsc चेयरमैन से मिलने की कोशिश की तो हाथ जोड़े छात्रों पे लाठी चार्ज किया गया यहां तक कि गर्ल्स तक को male police ने बुरी तरह से पीटा।
जब ये मुद्दा राष्ट्रीय बन गया तब जाके
11th दिन उन्हें DSP, SDM रैंक के अधिकारियों द्वारा bpsc chairmen से मिलने का प्रस्ताव आया और जिसे स्टूडेंट्स ने अस्वीकार कर दिया क्योंकि उन्हें उस chairmen पे विश्वास नहीं, तो ऐसे में अगर छात्रों का अनुरोध है कि उन्हें सिर्फ CM से मिलना है क्योंकि और अधिकारी पहले ही उनकी बात अनुसना करते आए है तो इसमें गलत क्या ?
आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बहाना बनाया कि बहुत सारे स्टूडेंट्स के मेल आ रहे की एग्जाम कैंसिल नहीं हो, तो छात्रों ने कहा आप वोटिंग (poll) करवाओ जैसे अतुल प्रसाद sir करते थे, छात्र अपना id BPSC site पे लॉगिन करके YES/No में poll कर सकते है।
लेकिन आयोग इस बात पे चुप्पी साधे है जिससे कि आयोग के मनसा पे संदेह उत्पन्न होना स्वाभाविक है ।
Journey of a Bpsc Aspirant
आयोग की हठधर्मिता और नाकामी
आयोग ना ही स्टूडेंट्स की सुनना चाह रही ना ही वो High Court के सुझाव को मानी ।
आयोग ने बहुत समय तक नॉर्मलाइजेशन के मुद्दे को लेकर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया गया, जबकि आयोग द्वारा पहले ही ये बात बोला गया कि हम नॉर्मलाइजेशन को लेके सोच सकते है। जिससे भ्रम उत्पन्न हुए और को छात्रों ने जब bpsc गेट का घेराव किया तब जाके आयोग ये बात स्पष्ट किया गया। जबकि आयोग पहले भी नोटिफिकेशन के जरिए ये बात स्पष्ट कर सकता था।
6 Dec से पहले जब High Court ने सुझाव दिया कि OMR sheet पे छात्रों का फोटो हो तो आयोग ने कहा वन वीक पहले ही questions centres को सर्कुलेट किया जा चुका है।
जब ये बात सच है तो फिर कैसे last मोमेंट पे क्लासरूम में क्वेशचन लेट से पहुंचा?
जब स्टूडेंट वन मिनिट लेट से पहुंचे तो उसे क्लासरूम में प्रवेश नहीं करने दिया जाता फिर आयोग जब खुद क्वेशचन लेट से पहुंचाए तो उसके लिए आयोग के चेयरमैन की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं की जाती ?
Brutal Lathi charge by police on Stayagrahi
सत्याग्रह का बदलता स्वरूप छात्र आंदोलन
छात्रों ने कभी किसी खास नेता को स्पेशल इन्विटेशन देके नहीं बुलाया ये अलग बात है कि 2025 के चुनाव के मद्देनजर रखते हुए बहुत सारी राजनीतिक दल के नेता आए। इसके लिए सरकार खुद जिम्मेवार है, वो इस छोटे से मुद्दे को बड़ा होने ही क्यों दे रही?
छात्रों को जो भी सहायता देने के उद्देश्य से आए ओर जो हमारी आवाज उठाएगा उनसे छात्र सपोर्ट लेंगे चाहे वो कोई नेता हो, शिक्षक हो या मीडिया हो ।
अगर सरकार हमारी बात नहीं मानती तो हम अब आंदोलन को ओर तेज़ करेंगे। अगर सरकार चाहती राजनीति हो तो ठीक है हम छात्र उसमें भी पीछे नहीं हटेंगे, क्योंकि मंदिर मस्जिद पे राजनीति होने से अच्छा है शिक्षा के मुद्दे पे राजनीति हो ।
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